अभी जब से दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के पुलिस मुख्यालय के सामने अपने परिवारसहित पुलिस वक़ील विवाद को लेकर धरना प्रदर्शन किया है तब से ये बहस तेज़ हो गई है की पुलिस का कोई मानव अधिकार नहीं है क्या वो अपनी माँगो के लिए आवाज़ नही उठा सकती, लोकतांत्रिक या उग्र धरना प्रदर्शन नही कर सकती, क्या संविधान में आम नागरिकों को प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उनके लिए नहीं है? इसी बात को लेकर एक चर्चा आज हम यहाँ करेंगे
पुलिस या देश की कोई फ़ोर्स धरना प्रदर्शन नहीं कर सकती !
पुलिस फ़ोर्स (अधिकारों का नियंत्रण) अधिनियम 1966 की धारा 3(1) (a)(b)(c) और 3(2) ये उपबंधित करते हैं की पुलिस देश के अंदर किसी भी स्थिति मे चाहे जो कारण हो किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन में भाग नही ले सकती अथवा आयोजित नहीं कर सकती, यदि ऐसा होता है तो ये करने वाले पुलिसकर्मी इसी अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत दंडित किए जाएँगे ।
किसी मीडिया संस्थान से बात करने और बाइट देना भी प्रतिबंधित करता है ये अधिनियम
पुलिसकर्मी, पुलिस फ़ोर्स (अधिकारों का नियंत्रण) अधिनियम 1966 की धारा 3(1) (a)(b)(c) और 3(2) के नियमो के अनुसार ड्यूटी के दौरान या अपनी वर्दी में किसी मीडिया कर्मी से बात नही कर सकते बाइट नहीं दे सकते या किसी लोक संचार माध्यम से पब्लिक डोमेन में अपनी बात नहीं रख सकते।
तो क्या प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों की नौकरी चली जाएगी!
बिल्कुल दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के समक्ष दिल्ली पुलिस द्वारा किया गया ग़ैर क़ानूनी प्रदर्शन साफ़ साफ़ इस अधिनियम के उपबंधो उल्लंघन था, और क़ायदे से पुलिस कमिश्नर दिल्ली को तत्काल प्रभाव से प्रदर्शन में शामिल
पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर देना चाहिए लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया इस पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्री वरुण ठाकुर ने दिल्ली पुलिस को लीगल नोटिस जारी कर ये आगाह किया है की वो तत्काल पुलिस फ़ोर्स (अधिकारों का नियंत्रण) अधिनियम 1966 की धारा 4 के तहत प्रदर्शन में शामिल और मीडिया समूहों को दिन भर लाइव बाइट दे रहे पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करें, अन्यथा वे कोर्ट की शरण लेंगे और कोर्ट निश्चित मामले मे तुरंत करवाई करेगी।
पुलिस या कोई आर्मड फ़ोर्सेज नही कर सकती हैं धरना प्रदर्शन ?
Reviewed by Creative Bihari
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November 06, 2019
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